यदि अतिचालक ( Superconductor ) वलय ( Ring) के आकार का हो तो उसमें विद्युत- चुम्बकीय प्रेरण ( Electro-Magnetic Induction) के द्वारा धारा ( Current) प्रेरित (Induced) किया जा सकता है ।
" जब वलय (Ring ) को चुंबकीय क्षेत्र ( Magnetic Field) में रखकर ठंडा किया जाता है वह भी उस ताप से ऊपर जिसपर अतिचालक ( superconductor ) अपने गुणों को प्रदर्शित करता है अर्थ क्रान्तिक ताप Tc ( Critical temperature) पर, Tc से नीचे जाने पर चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) को हटा दिया जाता है यदि इस वलय (Ring) में धारा प्रेरित हुई ( Current Induced) है तो वह इस धारा को बिना किसी बाहरी बल के कई हजारों सालों तक बिना क्षीण हुए बनाए रख सकती है क्योंकि यहां कोई I²R कि हानि नहीं होती है । इस धारा का मान कई सौ एम्पियर (Amperes) हो सकता है ।
इस प्रकार कि धारा को अविरत धारा (Persistent Current ) कहा जाता है।
अति चालक को चुंबकीय क्षेत्र कि उपस्थिति में ठंडा किया जाता है ।
अविरत धारा प्रेरित होती है तथा Heat= 0
इस धारा को निम्न संबंध द्वारा क्षय सूत्र ( Decay Formula) के साथ दर्शाया जाता है -
I(t) = I⁰e^-Rt/L