∇ और ∆ : गणित और भौतिकी में दो महत्वपूर्ण अवकलन संकारक
गणित और भौतिकी के क्षेत्र में ∇ और ∆ दो भिन्न किंतु संबंधित अवकलन (डिफरेंशियल) संकारक हैं, जो सदिश कलन (वेक्टर कैलकुलस) में प्रयुक्त होते हैं। ये दोनों किसी क्षेत्र (field) अथवा फलन (function) में स्थान के अनुसार परिवर्तन को व्यक्त करते हैं, किंतु इनकी गणितीय विशेषताएँ और उपयोग भिन्न होते हैं।
∇ : नाब्ला (या डेल) संकारक
∇ चिह्न को नाब्ला अथवा डेल कहा जाता है। यह एक सदिश अवकलन संकारक है। यह स्वयं कोई मात्रक नहीं है, बल्कि एक संकारक है जो स्केलर या सदिश क्षेत्र पर कार्य करता है। त्रिविमीय कार्टेशियन निर्देशांक में इकाई सदिशों के साथ नाब्ला संकारक इस प्रकार परिभाषित होता है:
∇ के किस प्रकार के फलन पर और किस विधि से प्रयोग किया जाता है, उसी पर निर्भर करता है कि इसका परिणाम क्या होगा। इसके मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
1️⃣ ग्रेडिएंट (स्केलर क्षेत्र के लिए)
जब ∇ को किसी स्केलर फलन पर लागू किया जाता है, तब यह एक सदिश क्षेत्र उत्पन्न करता है, जिसे उस फलन का ग्रेडिएंट कहते हैं। यह सदिश उस दिशा में इंगित करता है जहाँ फलन में सबसे तीव्र वृद्धि हो रही हो तथा इसका परिमाण उस वृद्धि की दर को दर्शाता है। इसे इस प्रकार लिखा जाता है:
2️⃣ डाइवरजेंस (सदिश क्षेत्र के लिए)
जब ∇ और किसी सदिश क्षेत्र का डॉट गुणनफल (dot product) लिया जाता है, तब परिणामस्वरूप एक स्केलर क्षेत्र प्राप्त होता है, जो क्षेत्र के किसी बिंदु पर स्रोत (source) अथवा सिंक (sink) की तीव्रता को मापता है। इसे इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:
3️⃣ कर्ल (सदिश क्षेत्र के लिए)
जब ∇ और किसी सदिश क्षेत्र का क्रॉस गुणनफल (cross product) लिया जाता है, तब एक नया सदिश क्षेत्र प्राप्त होता है, जो उस बिंदु पर क्षेत्र की घूर्णन प्रवृत्ति (rotational tendency) को व्यक्त करता है। इसे इस प्रकार लिखा जाता है:
∆ : लाप्लासियन (या डेल्टा) संकारक
∆ चिह्न को लाप्लासियन अथवा केवल डेल्टा कहा जाता है। यह एक स्केलर अवकलन संकारक है। यह प्रायः किसी स्केलर क्षेत्र पर द्वितीय कोटि की आंशिक अवकलजों (second-order partial derivatives) पर आधारित होता है। लाप्लासियन मूलतः डेल संकारक से संबद्ध है, और इसे किसी फलन के ग्रेडिएंट का डाइवरजेंस के रूप में परिभाषित किया जाता है।
लाप्लासियन को (पढ़ें: "डेल स्क्वेयर") अथवा ∆ द्वारा निरूपित किया जाता है। त्रिविमीय कार्टेशियन निर्देशांक में किसी स्केलर फलन का लाप्लासियन इस प्रकार होता है:
लाप्लासियन का परिणाम पुनः एक स्केलर क्षेत्र होता है। यह भौतिकी के अनेक महत्वपूर्ण समीकरणों में प्रयुक्त होता है, जैसे:
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लाप्लास समीकरण:
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पोइसन समीकरण:
किसी बिंदु पर लाप्लासियन का मान उस फलन की "अवतलता" (concavity) को दर्शाता है, अर्थात उस बिंदु पर फलन का मान उसके पड़ोसी बिंदुओं के औसत मान की तुलना में अधिक या कम है।
प्रमुख भिन्नताओं का सारांश
विशेषता | ∇ (नाब्ला/डेल) | ∆ (लाप्लासियन/डेल्टा) |
---|---|---|
स्वरूप | सदिश संकारक | स्केलर संकारक |
अवकलन का क्रम | प्रथम कोटि आंशिक अवकलज | द्वितीय कोटि आंशिक अवकलज |
मुख्य क्रियाएँ | ग्रेडिएंट, डाइवरजेंस, कर्ल | लैप्लासियन (ग्रेडिएंट का डाइवरजेंस) |
स्केलर फलन पर क्रिया | सदिश क्षेत्र उत्पन्न करता है | स्केलर क्षेत्र उत्पन्न करता है |
सदिश फलन पर क्रिया | स्केलर (डाइवरजेंस) या सदिश (कर्ल) उत्पन्न करता है | सदिश लैप्लासियन उत्पन्न करता है |
∇ और ∆ के मध्य संबंध
इन दोनों संकारकों के मध्य मुख्य संबंध यह है कि लाप्लासियन, नाब्ला संकारक के माध्यम से परिभाषित होता है। विशेष रूप से,
यह संबंध स्पष्ट करता है कि जहाँ ∇ एक बहुपरकारी (versatile) प्रथम कोटि का सदिश संचालक है, वहीं ∆ एक विशेष द्वितीय कोटि का स्केलर संचालक है, जो किसी फलन के स्थानिक परिवर्तन की तीव्रता का विश्लेषण करता है।