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1. द्वितीय सन्नादी उत्पादन (2nd Harmonic Generation)
एक ध्रुवण (Polarization) जो 2ω आवृत्ति पर दोलन करता है, उसी आवृत्ति की एक विद्युत-चुंबकीय तरंग का विकिरण करता है, जो उसी वेग से संचरित होती है जैसा कि आपतित तरंग का होता है। इस प्रकार उत्पन्न होने वाली तरंग की दिशा, एकवर्णी (monochromaticity) तथा अन्य गुण आपतित तरंग के समान होते हैं और यह उसी दिशा में उत्सर्जित होती है। इस घटना को द्वितीय हार्मोनिक जेनरेशन (Second Harmonic Generation – SHG) कहा जाता है।
अधिकांश क्रिस्टलीय पदार्थों में, गैर-रेखीय ध्रुवणशीलता (nonlinear polarizability) χ (2) की निर्भरता तरंग के संचरण की दिशा, विद्युत क्षेत्र की ध्रुवणता और क्रिस्टल के ऑप्टिक अक्ष की दिशा पर होती है। चूँकि इन क्रिस्टलों में ध्रुवणता सदिश P और विद्युत क्षेत्र सदिश E अनिवार्यतः समानांतर नहीं होते, इसलिए χ गुणांक को टेन्सर के रूप में लिया जाता है। अतः द्वितीय कोटि की ध्रुवणता को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है:
जहाँ i, j, k निर्देशांक x, y, z को दर्शाते हैं। अधिकांश स्थितियों में χ के कई गुणांक शून्य होते हैं और केवल एक या दो अवयव ही महत्वपूर्ण होते हैं।
यह उल्लेखनीय है कि समीकरण (8) द्वारा प्रदर्शित द्वितीय हार्मोनिक जनन केवल कुछ विशेष प्रकार के क्रिस्टलों में ही संभव है। उदाहरण के लिए, यदि कोई क्रिस्टल समदिशीय (isotropic) हो, तो उस स्थिति में χ (ijk) दिशा पर निर्भर नहीं होता और एक नियतांक होता है। अब यदि हम निर्देशांकों की दिशा को उलट दें (जैसे x — -x, y— -y, z — -z) जबकि विद्युत क्षेत्र एवं द्विध्रुव आघूर्ण (dipole moment) की दिशा अपरिवर्तित रहे, तो समीकरण में दिशाएं इस प्रकार बदलेंगी:
इसका अर्थ है कि समदिशीय माध्यम जैसे द्रव या गैस, अथवा केन्द्र-सम्मित क्रिस्टल (centro-symmetric crystals) में द्वितीय हार्मोनिक जनन संभव नहीं है। केवल वे क्रिस्टल जिनमें प्रतिलोमन सममिति (inversion symmetry) नहीं होती, SHG की क्षमता रखते हैं।
ऐसे गैर-केन्द्र-सम्मित (non-centro-symmetric) क्रिस्टलों — जैसे एकाक्षीय (uniaxial) ऐनिसोट्रॉपिक क्रिस्टल — में द्वितीय कोटि तथा तृतीय कोटि के दोनों पद उपस्थित होते हैं। तथापि, सामान्यतः तृतीय कोटि χ (3) का योगदान बहुत कम होता है और उसे अनदेखा किया जा सकता है।
इस प्रकार समीकरण 3 से ऐसे पदार्थों के लिए हम निम्न प्रकार लिख सकते हैं:
और ऐसे माध्यमों को द्वितीय कोटि रेखीयता (second-order linearity) वाला माध्यम कहा जाता है।
2. तृतीय सन्नादी उत्पादन ( 3rd Harmonic Generation)
यदि कोई पदार्थ केंद्र-सममितीय (centrosymmetric) हो,** तो समीकरण (.3) में विद्युत क्षेत्र E के सम घातों वाले पद अनुपस्थित रहेंगे, और वह निम्न रूप में सरल हो जाएगा:
या, सदिश रूप में (दूसरी लाइन में)
इसलिए, तीसरे हार्मोनिक का निर्माण (Third Harmonic Generation - THG) उन क्रिस्टलों में संभव होता है जो inversion symmetry प्रदर्शित करते हैं।
Q-switched लेज़र के विकास ने क्रिस्टलों में तीसरे हार्मोनिक को उत्पन्न करना संभव बना दिया है । हालांकि, इस प्रक्रिया में ऊर्जा रूपांतरण की दक्षता बहुत कम होती है। उदाहरण के लिए, कैल्साइट (Calcite) क्रिस्टल में तीसरे हार्मोनिक के लिए अधिकतम ऊर्जा रूपांतरण दक्षता केवल 0.01% देखी गई है।
Maker और Terhune ने भी विशाल पल्स लेज़र (Giant pulse lasers) का उपयोग करते हुए तीसरे हार्मोनिक के अवलोकन के लिए प्रयोग किए थे।
Zwernemann और Beeker ने कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में 9.33 माइक्रॉन तरंगदैर्ध्य पर waveguide के माध्यम से तीसरे हार्मोनिक जनरेशन (THG) को प्रायोगिक रूप से प्रवर्धित (enhance) होते हुए देखा है। उन्होंने यह भी सैद्धांतिक रूप से बताया है कि सबसे उपयुक्त waveguide कौन-सा है, जिसमें यह अभिक्रिया (interaction) प्रभावी ढंग से हो सकती है।
उच्च क्रम के हार्मोनिक जनरेशन के निर्माण की प्रक्रिया को भी इसी सिद्धांत पर समझा जा सकता है।