प्रकाश का स्व-केंद्रण | Self Focusing of Light (हिंदी)

अपवर्तनांक की विद्युत क्षेत्र पर निर्भरता और स्व-केन्द्रण

Self Focusing of Light

किसी पदार्थ का अपवर्तनांक (Refractive Index) उसकी व्युत्क्रिया क्षमता (Susceptibility) से निम्नलिखित रूप में संबंधित होता है:

η = 1 + χ   ...(1)

चूँकि व्युत्क्रिया क्षमता χ विद्युत क्षेत्र E का फलन होती है, अतः अपवर्तनांक η भी E पर निर्भर करता है। यह क्षेत्र-निर्भरता ही एक अपरैखिक प्रभाव उत्पन्न करती है, जिसे स्व-केन्द्रण (Self-focusing) कहा जाता है।

स्व-केन्द्रण के दौरान प्रकाश तरंगों की आवृत्ति नहीं बदलती। इसलिए, केवल मूल हार्मोनिक (fundamental harmonic) से संबंधित पद ही महत्त्वपूर्ण होता है। समीकरण इस प्रकार है:

P(1) = ε₀ · [ χ(1) + (3/4)·χ(2)·E² ] · E   ...(2)

इससे अपवर्तनांक का संशोधित व्यंजक प्राप्त होता है:

η = 1 + [ χ(1) + (3/4)·χ(2)·E² ]     ...(3)

इसे अलग रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है:

η = εₗ + εₙₗ    ...(4)

जहाँ,

εₗ = 1 + χ(1)   ...(5)
(यह रैखिक माध्यम की डाइलेक्ट्रिक पारगम्यता है)

εₙₗ = (3/4)·χ(2)·E²  ...(6)
(यह अपरैखिक वृद्धि दर्शाता है)

अब चूँकि εₙₗ बहुत छोटा होता है (εₙₗ ≪ εₗ), इसलिए:

η ≈ 1 + (1/2)·(εₙₗ / εₗ)    ...(7)

या,

η ≈ ηₗ · [ 1 + (3/8)·(χ(2)·E² / εₗ) ]     ...(8)
जहाँ ηₗ = √εₗ (रैखिक अपवर्तनांक)


ηₙₗ · E₀ = (3/8)·χ(2)·E² / √εₗ         ...(9)

इससे स्पष्ट होता है कि किसी अपरैखिक माध्यम में अपवर्तनांक विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E²) के अनुपाती होता है। चूँकि लेज़र किरणों की तीव्रता उनके केंद्र में अधिक और किनारों पर कम होती है, इसलिए अपवर्तनांक केंद्र में अधिक होगा और इससे किरण भीतर की ओर झुकती है — यही Self-focusing है।

स्व-केन्द्रण की दूरी और थ्रेशोल्ड तीव्रता

स्व-केन्द्रण की दूरी का अनुमान निम्न सूत्र द्वारा लगाया जा सकता है:

L₀ = D / (ηₙₗ · E₀)          ...(10)

जहाँ D किरण का व्यास है।

स्व-केन्द्रण तब शुरू होता है जब तीव्रता एक विशेष सीमा (Threshold) तक पहुँचती है:

Iₜₕᵣₑₛₕ = λ² / (ηₗ · ηₙₗ · D²)  ...(11)

यह सूत्र बताता है कि उच्च आवृत्तियों और अधिक χ(2) वाले पदार्थों के लिए यह थ्रेशोल्ड तीव्रता कम होती है।

प्रायोगिक अध्ययन:

  • स्व-केन्द्रण का अध्ययन द्रवों जैसे कि कार्बन डाइसल्फाइड, बेंजीन, एसीटोन आदि में किया गया है।

  • किरण का व्यास 0.5 माइक्रॉन होने पर स्व-केन्द्रण दूरी लगभग 10 सेमी पाई गई।

  • बने हुए प्रकाश तंतुओं का व्यास 30 से 50 माइक्रॉन था, जिनमें कई और भी पतले फिलामेंट (~5 माइक्रॉन व्यास) सम्मिलित थे।

इस प्रकार, स्व-केन्द्रण एक अत्यंत जटिल और महत्त्वपूर्ण अरैखिक ऑप्टिकल प्रभाव है।

लेख से संबंधित एवं आवश्यक विषय 


1. अरेखीय प्रकाशिकी एवं सन्नादी सृजन | Non-Linear optics and Harmonic Generation (हिंदी) 2. द्वितीय एवं तृतीय सन्नादी सृजन | 2nd and 3rd Harmonic Generation 3. प्रकाश का परिमापिक सृजन | Parametric Generation of Light (हिंदी) 4. प्रकाशीय सम्मिश्रण | Optical Mixing of Light (हिंदी)

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