प्रकाशीय सम्मिश्रण | Optical Mixing of Light (हिंदी)

अरैखिक ध्रुवण (Nonlinear Polarization) और ऑप्टिकल मिश्रण

Optical mixing of light in hindi

अरैखिक प्रकाशिकी के समीकरण (Nonlinear Optics Equation No. 3) में दूसरे पद से

P = ε₀ · [ χ¹·E + χ²·E² + χ³·E³ + ... ] 

या

P = ε₀ (χ(1)·E + χ(2)·E² + χ(3)·E³ + …) ... (1)

जिसमें E² , विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का अपने आप से गुणनफल (यानी E·E) है। लेकिन यह अध्रुवित (non-polarization) पद दो विभिन्न आवृत्तियों वाले विद्युत क्षेत्रों के आपसी प्रभाव या क्रिया से भी उत्पन्न हो सकता है।

मान कि दो सुसंगत या कलासम्बद्ध प्रकाश तरंगें, जिनकी आवृत्तियाँ क्रमशः ω₁ और ω₂ हैं, किसी पदार्थ में से होकर गुजर रही हैं। इस स्थिति में पदार्थ के भीतर प्रभावी विद्युत क्षेत्र होगा:

E = E₁·cos(ω₁·t) + E₂·cos(ω₂·t) ........(2)

इसे समीकरण (1) में रखा जाता है, तब द्वितीय पद निम्न रूप में परिवर्तित हो जाता है:

P² = ε₀·χ²·[E]²

जिसे विस्तारित करके निम्न तरह लिखा जा सकता है:

P² = ε₀·χ²·[E₁²·cos²(ω₁·t) + E₂²·cos²(ω₂·t) + 2·E₁·E₂·cos(ω₁·t)·cos(ω₂·t)] ........(3)

समीकरण के तीसरे पद को

2·ε₀·χ²·E₁·E₂·cos(ω₁·t)·cos(ω₂·t)

त्रिकोणमितीय संबंध:

2·cos(α)·cos(β) = cos(α + β) + cos(α − β)

का उपयोग करते हुए निम्न रूप में लिखा जा सकता है:

2·ε₀·χ²·E₁·E₂·cos(ω₁·t)·cos(ω₂·t) = ε₀·χ²·E₁·E₂·[cos((ω₁ + ω₂)·t) + cos((ω₁ − ω₂)·t)]  ........(4)

यह समीकरण दर्शाता है कि अरैखिक ध्रुवीकरण से उत्पन्न विकिरण में ω₁ + ω₂ तथा ω₁ − ω₂ आवृत्तियाँ सम्मिलित होती हैं। इन तरंग के बीच ऊर्जा स्थानांतरण तब तक प्रभावी रहेगा जब दोनों तरंगें समान दिशा में और समान वेग से यात्रा करें।

प्रयोगात्मक पुष्टि:

योग एवं अंतर आवृत्तियों को प्रायोगिक रूप से देखा जा सकता है।

  • सबसे पहले अंतर आवृत्ति तब देखी गई जब रूबी लेज़र की किरण को मरकरी लैम्प (λ = 3115 Å) की असुसंगत किरण के साथ मिलाया गया।

  • इस प्रयोग में उत्पन्न अंतर आवृत्ति विकिरण की दक्षता बहुत ही कम थी — जहाँ मरकरी किरण की शक्ति लगभग 2×10⁻⁴ वाट थी, वहीं अंतर आवृत्ति विकिरण केवल 10⁻¹⁰ वाट उत्पन्न हुआ।

  • दो अलग-अलग रूबी लेज़रों के विकिरण का मिश्रण सबसे पहले Franken एवं उनके साथियों ने देखा।

DC Term (स्थिर ध्रुवण)

समीकरण (2) का पहला पद केवल आवृत्ति द्विगुणन नहीं, बल्कि एक स्थिर धारा (DC component) भी उत्पन्न करता है।
Baas और उनके सहयोगियों ने देखा कि जब 1 मेगावाट की विकिरण शक्ति को KDP क्रिस्टल में प्रवाहित किया गया, तो लगभग 200 माइक्रोवोल्ट का DC पल्स उत्पन्न हुआ।

इसी प्रकार, विभिन्न तापमान पर रखे गए दो रूबी लेज़रों की किरणों के योग आवृत्ति का अवलोकन भी किया गया। रूबी और नियोडाइमियम लेज़र के मिश्रण द्वारा भी Miller और Savage ने समान परिणाम प्राप्त किए।

उच्च क्रम के पद और जटिल आवृत्तियों का मिश्रण

अब तक हमने केवल द्वितीय क्रम (second-order) के पद पर विचार किया है। परंतु अधिक सामान्य स्थिति में ध्रुवण समीकरण में उच्च क्रम के पद जैसे E³, E⁴ आदि भी सम्मिलित हो सकते हैं।

यदि समीकरण (2) को इन उच्च क्रम के पदों सहित (Nonlinear Optics Equation No. 1) में रखा जाए, तो प्राप्त व्यंजक में इस प्रकार की आवृत्तियाँ भी सम्मिलित होंगी:

ω = m·ω₁ ± n·ω₂
(जहाँ m और n पूर्णांक होते हैं)

इससे यह ज्ञात होता है कि योग और अंतर आवृत्तियों के अतिरिक्त, अन्य प्रकार का जटिल आवृत्तियों का मिश्रण भी संभव है।

अनुप्रयोग और महत्त्व

क्रिस्टलों में ऑप्टिकल आवृत्ति मिश्रण द्वारा ऑप्टिकल आवृत्ति रूपांतरण की नई संभावनाएँ खुलती हैं।
यह संकीर्ण बैंड सुसंगत विकिरण के स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ प्राथमिक लेज़र उपलब्ध नहीं हैं।

आज के समय में लेज़र विकिरण अवरक्त क्षेत्र (IR) से लेकर दृश्य और पराबैंगनी (UV) क्षेत्र (~116 nm तक) में आसानी से उपलब्ध है। लेकिन ऑप्टिकल आवृत्ति मिश्रण के कारण, हम इस तरंगदैर्घ्य को अधिकतम पराबैंगनी ( XUV - Extreme Ultraviolet) क्षेत्र तक बढ़ा सके हैं, जो सॉफ्ट एक्स-रे क्षेत्र तक जाता है।

वास्तव में, XUV क्षेत्र में कलासंबद्ध विकिरण का यही एकमात्र व्यावहारिक स्रोत है।

यह उल्लेखनीय है कि कभी-कभी ω₁ − ω₂ अंतर इतना कम होता है कि वह ध्वनिक (acoustic) क्षेत्र में आ जाता है।
इस कारण से, आवृत्ति मिश्रण का उपयोग ऑप्टिकल विधि द्वारा पराश्रव्य (ultrasonic) तरंगों के निर्माण के लिए भी किया जा सकता है।

Phase Matching की आवश्यकता

द्वितीय हार्मोनिक सृजन की तरह ही, आवृत्ति मिश्रण में भी कला मिलान (Phase Matching) की शर्त अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। बल्कि, यह और भी अधिक जटिल हो जाती है क्योंकि इसमें तीन या अधिक आवृत्तियाँ सम्मिलित हो सकती हैं।

यदि:

ω₃ = ω₁ ± ω₂  ......(5)
तो आवश्यक है कि:

k₃ = k₁ ± k₂ ........(6)

इस प्रकार की शर्त को पूरा करने के लिए क्रिस्टल की उपयुक्त दिशा और विशेषताएँ चुननी पड़ती हैं ताकि सभी wave vectors आपस में मेल खाएँ।

लेख से संबंधित एवं आवश्यक विषय 


1. अरेखीय प्रकाशिकी एवं सन्नादी सृजन | Non-Linear optics and Harmonic Generation (हिंदी) 2. द्वितीय एवं तृतीय सन्नादी सृजन | 2nd and 3rd Harmonic Generation 3. प्रकाश का परिमापिक सृजन | Parametric Generation of Light (हिंदी) 4. प्रकाश का स्व-केन्द्रण | Self Focusing of Light (हिंदी)

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